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Showing posts from 2020

सत्यम और सविता

सत्यम काफी दिनों से बीमार चल रहा था और चिड़चिड़ा हो गया था। पास बैठी पत्नी सविता से नाराजगी जता रहा था कि तुम तो मेरे मरने के बाद दूसरा विवाह कर लोगी।  काफी रात हो गई थी । सत्यम बीमारी से काफी परेशान था, अचानक से यमराज प्रकट हुए उन्होंने सत्यम से कहा चलो मेरे साथ, तुम्हारा समय आ गया। सत्यम ने कहा प्रभु मैं तो चलने को तैयार हूँ लेकिन मेरे पैर जकड़े हुए हैं आप ही थोड़ा जोर लगाएं जिससे मैं मुक्त होकर आपके साथ चल सकूँ...बस इसी जद्दोजहद में सत्यम की नींद टूटी तो वो क्या देखता है कि सविता उसके पाँवो को पकड़े हुए आँखे मूंदे हुए प्रभु सिमरन कर रही है। अब क्या था, सत्यम की अश्रुधारा तो रुकने का नाम ही ना ले रही थी... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

मंथन (आत्मपरीक्षण Introspection)

मेरे दोस्त नीलकंठ   का व्हाट्सएप्प   पर   मेसेज आया "जरूरी नहीं हमेशा बुरे कर्मो की वजह से ही , दर्द सहने को मिले...कई बार हद से   ज्यादा अच्छे होने की भी क़ीमत चुकानी पड़ती है...।" मैंने देखा की मेसेज संजीदा है तो मैंने सोचविचार करके अपने विचार रखे "   दर्द देने वाला सहने की शक्ति भी देता है. हफ्ता पहले मुझे 2 दिन सांस लेने में दिक्कत रही तब अपने आप ही दिलोंदिमाग में मंथन शुरू हो गया।   माँ प्रकृति से वार्तालाप तीव्र हो गई ।   क्योंकि तकलीफ इतनी थी की ऐसा लग रहा था कि पता नहीं अगली सांस ही आखिरी ना हो। न्यूट्रल   हो गया था मैं। ( Nuetral, Indifferent  उदासीन ,   अनासक्त  ,  आसक्तिरहित  )  इच्छाएँ तो छोड़ो एक ही ईच्छा हो रही थी की माँ प्रकृति कि   गोद में लम्बी तान के सोने का समय आ गया। पर इतना खुशनसीब कहाँ , माँ ने कहा अपनी जिम्मेवारियाँ निभा ले..." 😊 नीलकंठ ने लिखा "बच्चे खुशनसीब हैं , पिता के बिना खुशियाँ नहीं मिलतीं" मैंने लिखा "तभी तो कहते हैं ना , जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा (माँ प्रकृति) है...

खा ले मेरे राजा बेटा, तू तो मेरा शेर है...

मैंने अपने दोस्त अवतार को व्हाट्सएप्प पर संदेश भेजा "वक्त से लड़कर, जो नसीब बदल दे ! इन्सान वही जो, अपनी तक़दीर बदल दे ! कल कया होगा, कभी मत सोचो ! क्या पता कल वक्त खुद, अपनी तस्वीर बदल दे !" अवतार का जवाब आया "यार ये बातें पढ़ने में ही अच्छी लगती हैं, असल जिंदगी में ऐसा नहीं होता" मैंने समझाते हुए जवाब दिया "अबे कुछ बातें होंसला बढ़ाने के लिए होती हैं, जैसे माँ अपने बेटे से कहती है "खा ले मेरे राजा बेटा,  तू तो मेरा शेर है"... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here     

टूटता तारा देखकर मैंने माँगा ...

नींद ना आने  की वजह से छत पर टहल रहा था कि अचानक आसमान में टूटता तारा देखकर मेरे मन में भी आया कि आज ऊपर वाले से कुछ मांग लिया जाये। तबियत ठीक नहीं थी तो क्या था मैंने झट से प्रार्थना की 'हे माँ प्रकृति (माँ भगवती, माँ महाकाली, माँ अम्बे) ॐ शांति शांति शांति, माँ तीनों लोकों में सुख शांति हो '। एक बार तो मन में आया अरे यार अपने लिए माँगना था, लेकिन भीतर मन में अपार खुशी, सन्तोष था, माँ प्रकृति के लिए धन्यवाद था कि माँ आपने मेरे मुख से तीनों लोकों के लिए सुख शांति मंगवा ली। ... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

Intelligence with Polite Gesture (समझदार होने के साथ विनम्र भाव)

समझदार होने के साथ विनम्र भाव (spirit) सामने वाले को प्रोत्साहित, मजबूर करता है अपना ज्ञान साँझा करने के लिए... Being  sensible/intelligent,  humble spirit encourages  and compels others  to share  their knowledge... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

तीन रंग नइ मिलने बिब्बा, हुस्न जवानी ते माँ पे (Tin Rang) / Three colours of life 'beauty', 'youthfulness' & 'parent' never gifted by 'Mother Nature' again...

आँखे नम थीं, बब्बल अपने पिताजी को याद कर रहा था। ईश्वर से गुफ्तगू चल रही थी, "हे ईश्वर एक पीढ़ी के अंतर (generation gap) की वजह से पिता पुत्र में छोटा मोटा मन मुटाव तो होता है लेकिन मेरी एक नादानी ऐसी थी जिसे मैं शायद आज पिता के हमेशा के लिए आपके पास चले जाने के बाद सहन ना कर पाऊं, कृपया मेरी उस नादानी को मेरे स्मृतिपटल (memory) से हमेशा हमेशा के लिए मिटा दें।" बब्बल ने पिछले लंबे समय से पिता की खूब सेवा की, पिता चलते फिरते ही प्रभु के धाम गए। कब आँख लगी पता ही नहीं चला, चिड़ियों की चहचहाहट से बब्बल की नींद खुली, पास ही बेटी तान्या बैठी थी जैसे पिता के जागने का इन्तजार कर रही हो। बब्बल ने बेटी को गोद में बिठाया और कहा "बेटा उदास क्यों हो रही है, दादाजी भगवान के घर ही तो गए हैं। और तू चिंता ना कर मैं तो तेरे और तेरी बहन युक्ता के बच्चों के भी बच्चों की शादियों में भंगड़ा डालने के बाद ही प्रभु के घर जाऊँगा।" तान्या ने मुस्करा कर पिता को गले लगा लिया। (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

बाणों की शैय्या the arrow bed

भीष्म ने अपने शरीर को त्यागने  के लिए तीर के बिस्तर पर सर्दियों के संक्रांति या उत्तरायण के पहले दिन के लिए लगभग 58 रातों तक इंतजार किया। मेरे मित्र का प्रश्न था "58 दिन तक भीष्म को क्या खिलाया गया"  । मैंने कहा "पहला सवाल ये होना चाहिये की कोई 58 सेकंड भी बाणों की शैय्या पर जिंदा रह सकता है?  एक माँ बच्चे को सुलाने के लिए उसको डराती है मुन्ना सो जा नहीं तो बाहर घूम रही चुड़ैल अंदर आ जायेगी और तुझे खा जाएगी...अगर हम  उस बच्चे की तरह  से  अपने ग्रन्थों को  मान लें और पालन भी कर लें  तो भी हमारा जीवन सफल हो जाये, जय श्री राम, जय माता दी....🙏😊" Bhishm did wait for about 58 nights for the winter solstice or first day of Uttarayana to give up his body on the arrow bed. My friend asked "For 58 days what was fed to Bhishma" I said "The first question should be whether anyone can stay alive for 58 seconds on the bed of the arrows? A mother scares the child to put him to sleep saying witch wandering outside will come in and eat you .. ....

रूठा दोस्त मनाना (Consoling Displeased Friend)

व्हाट्सएप्प पर मेरे दोस्तों के ग्रुप पर एक डांस करते हुए युगल जोड़े का वीडियो आया।  उसका शीर्षक था  "नोटों की गड्डियां निकाल लो गजब का मुजरा सेंड कर रहा हूं"। मुझे ये वीडियो अच्छा लगा मैंने मेसेज किया "it's not joke, art must be appreciated..." (यह मजाक नहीं है, कला की सराहना की जानी चाहिए ...) अब दूसरी तरफ से मेसेज आया  "manoj ji ye samay jyada sochne or dimag tention maie nhi  rakhney ka ye jindgiee na milegie dobara, na school na collage na job koi tention nhi lene ka, Full masti full enjoy dosti or parivaar k sath bs majje hi majje. Baki fir b schne ka too bhai ........tu soch😄😄😄😄🙃🙃🙃🙃🙃" मैं समझ गया था कि यह दोस्त अपसेट हो गया है... मैंने मेसेज किया "मैंने सच में एन्जॉय किया इस वीडियो को...और जो मैंने लिखा वो सिर्फ मेरी सोच थी, किसी के लिए कोई एडवाइस नहीं थी..फर्क इतना रहा कि आपने और मैंने इस विडियो को अलग अलग नज़रिये से एन्जॉय किया 😃👍 किसी ने मुझे समझाया था कि अपनी बात को इस तरह से सामने रखो कि सामने वाला किसी भी तरह से उसका ग...

मोहन से भी डर और प्यार के फलीभूत आकस्मिक प्रतिक्रिया हो गई थी...

माँ ने दौड़ कर सड़क पर दौड़ते हुए बच्चे को पकड़ा, दो चार थप्पड़ रसीद किये और बच्चे को गोद में उठा कर गले लगा कर रोने लगी...ये घटना देखकर मोहन को भी अपनी बेटी की याद आ गई।  कुछ दिन पहले मोहन ने गुस्से में आकर अपनी बेटी को थप्पड़ मार दिया था, और चार पाँच दिन तक अकेले में पश्चाताप में रोता रहा था, लेकिन बेटी को सॉरी नहीं कह पाया। लेकिन आज की घटना ने मोहन के अशांत मन को शांत कर दिया था जैसे उस माँ ने अपने बच्चे की नादानी पर अपने डर और प्यार से प्रतिक्रिया की थी उसी प्रकार मोहन से भी डर और प्यार के फलीभूत आकस्मिक प्रतिक्रिया हो गई थी... और शॉर्ट  स्टोरीज के लिए क्लिक करें   

क्योंकि मैं आपके सिवा किसी और को पापा नहीं कह सकता

किशन ने अपनी बीवी से तलाक के डेढ़ साल बाद घर वालों और दोस्तों द्वारा समझाने पर दूसरी शादी के लिए हाँ कर दी । एक सुशील लड़की के साथ रोका भी हो गया।  काफी दिनों  बाद किशन के मित्र मोहन का फ़ोन आया।  मोहन ने पूछा "किशन भाई क्या बात हो गई आपने शादी के लिए बुलाया नहीं, कहीं दोस्तों को भूल तो नहीं गए थे और चुपचाप शादी तो नहीं कर ली ?" किशन ने कहा " नहीं भाई ऐसी बात नहीं है, मैंने उस लड़की को मना कर दिया है। मोहन ने पूछा "क्यों ?" किशन ने कहा " यार बेटे ने मुझे कहा की पापा अगर मम्मी ने दूसरी शादी कर ली तो मैं आपके पास आ जाऊँगा क्योंकि मैं आपके सिवा किसी और को पापा नहीं कह सकता, प्लीज पापा आप किसी और से शादी मत करना। ... और शॉर्ट  स्टोरीज के लिए क्लिक करें