आँखे नम थीं, बब्बल अपने पिताजी को याद कर रहा था। ईश्वर से गुफ्तगू चल रही थी, "हे ईश्वर एक पीढ़ी के अंतर (generation gap) की वजह से पिता पुत्र में छोटा मोटा मन मुटाव तो होता है लेकिन मेरी एक नादानी ऐसी थी जिसे मैं शायद आज पिता के हमेशा के लिए आपके पास चले जाने के बाद सहन ना कर पाऊं, कृपया मेरी उस नादानी को मेरे स्मृतिपटल (memory) से हमेशा हमेशा के लिए मिटा दें।" बब्बल ने पिछले लंबे समय से पिता की खूब सेवा की, पिता चलते फिरते ही प्रभु के धाम गए। कब आँख लगी पता ही नहीं चला, चिड़ियों की चहचहाहट से बब्बल की नींद खुली, पास ही बेटी तान्या बैठी थी जैसे पिता के जागने का इन्तजार कर रही हो। बब्बल ने बेटी को गोद में बिठाया और कहा "बेटा उदास क्यों हो रही है, दादाजी भगवान के घर ही तो गए हैं। और तू चिंता ना कर मैं तो तेरे और तेरी बहन युक्ता के बच्चों के भी बच्चों की शादियों में भंगड़ा डालने के बाद ही प्रभु के घर जाऊँगा।" तान्या ने मुस्करा कर पिता को गले लगा लिया। (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here
Comments
Post a Comment