नींद ना आने की वजह से छत पर टहल रहा था कि अचानक आसमान में टूटता तारा देखकर मेरे मन में भी आया कि आज ऊपर वाले से कुछ मांग लिया जाये। तबियत ठीक नहीं थी तो क्या था मैंने झट से प्रार्थना की 'हे माँ प्रकृति (माँ भगवती, माँ महाकाली, माँ अम्बे) ॐ शांति शांति शांति, माँ तीनों लोकों में सुख शांति हो '। एक बार तो मन में आया अरे यार अपने लिए माँगना था, लेकिन भीतर मन में अपार खुशी, सन्तोष था, माँ प्रकृति के लिए धन्यवाद था कि माँ आपने मेरे मुख से तीनों लोकों के लिए सुख शांति मंगवा ली। ...
मेरी बेटी कृति (शुभिका) जब सातवीं कक्षा में पढ़ती थी, अपनी फ्रेंड अलका को साथ लेकर अपनी दूसरी फ्रेंड साक्षी के घर गई। साक्षी ने कृति से कहा कि वह अलका को उसके घर वापिस भेजकर अंदर आ जाए। कृति ने साक्षी से कहा कि, जहां मेरी फ्रेंड की इज़्ज़त नहीं, वहां मुझे भी नहीं रुकना...यह कहकर कृति अलका को साथ लेकर अपने घर वापिस आ गई। मुझे कृति के इस निर्णय पर बहुत गर्व महसूस हुआ, मन ही मन मैं मुस्कुरा रहा था कि रगों में खून का असर तो होता ही है... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here
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