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Storyteller - Short Stories By Manoj Kumar Vitthal

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पोस्टमैन से रिश्ता

दिल की बात दूर दूर तक पोस्टमैन पहुंचा दिया करता था। एक दोस्ती भरा रिश्ता सा बन गया था उसके साथ। मानो एक पुल की तरह काम करता था मेरे और मेरे अपनों के बीच। दुआओं में पोस्टमैन का भी नाम खुद ब खुद आ जाया करता था। सुख दुःख का साथी सा बन गया था वो। फौजियों की तरह सेवा भाव लिए दूरियों को बिल्कुल मिटा दिया करता था। दिलों को जोड़ दिया करता था तभी तो दिल के करीब था वो पोस्टमैन। कोई रिश्ता ना होते हुए भी कितना पावन रिश्ता था उससे... ऐसे सभी लोगों को दिल से प्रणाम जो निःस्वार्थ भाव से दिलों को जोड़ने के लिए पुल का काम करते हैं। ... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

फूल भी हमारा आभारी होता होगा कि हमने उसे भगवान् के चरणों में स्थान दिलवा दिया...

जगमोहन ने मोनू  से  कहा की भाई मेरे साथ फूल इकठ्ठे करने में सहायता कर दो।  मोनू  ने कहा कि भाई फूल तुड़वा कर मुझे पाप का भागी क्यों बनाते हो।  जगमोहन ने मोनू से कहा कि फूल भी हमारा आभारी होता होगा कि हमने उसे भगवान् के चरणों में स्थान दिलवा दिया, क्योंकि वह खुद तो भगवान् के श्री चरणों में जाने के लिए सक्षम नहीं है।  जगमोहन का सुन्दर सा जवाब सुनकर मोनू मुस्कुराते हुए फूल तोड़ने लग गया।  (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

कर्ण का न्याय

  कर्ण ने अर्जुन से कहा कि आपने जो मेरा कार्य सम्पन्न किया है उसका मेहनताना आप मेरे मित्र दुर्योधन से ले लीजिए। अ र्जुन ने कर्ण से कहा कि प्रिय कर्ण आप मेरे भाई दुर्योधन के मित्र होने के नाते मेरे भी मित्र हुए, और उम्र में मुझसे बड़े होने के नाते मेरे लिए आदरणीय भी हैं। अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि आपने चार माह पूर्व भी मुझे इस कार्य हेतु बुलाया था, पर मैंने आपसे अनुग्रह किया था कि कृप्या पहले आप भाई दुर्योधन से अनुमति दिलवा दें, क्योंकि भाई दुर्योधन मुझसे किसी कारणवश नाराज़ चल रहे हैं, तब आपने मुझे बताया था कि भाई दुर्योधन मेरे द्वारा आपका कार्य करने की अनुमति नहीं दे रहे। अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि अब चार महीनों बाद आपने मुझे यह कहकर बुलाया कि आपने दुयोधन से कार्य हेतु अनुमति ले ली है और पारिश्रमिक भी तय कर लिया था। अबकी बार मै आपके अनुरोध पर आपके विनम्र स्वभाव को देखते हुए आपकी सहायता हेतु आपके कार्यस्थल पर दो दिन परिश्रम करता हूँ। तो इस स्थिति में मुझे पारश्रमिक भाई दुर्योधन से क्यों लेना चाहिए ? अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि मैं तो आपके कार्यस्थल पर कार्य करने हेतु इस लिए भी तै...

सत्यम और सविता

सत्यम काफी दिनों से बीमार चल रहा था और चिड़चिड़ा हो गया था। पास बैठी पत्नी सविता से नाराजगी जता रहा था कि तुम तो मेरे मरने के बाद दूसरा विवाह कर लोगी।  काफी रात हो गई थी । सत्यम बीमारी से काफी परेशान था, अचानक से यमराज प्रकट हुए उन्होंने सत्यम से कहा चलो मेरे साथ, तुम्हारा समय आ गया। सत्यम ने कहा प्रभु मैं तो चलने को तैयार हूँ लेकिन मेरे पैर जकड़े हुए हैं आप ही थोड़ा जोर लगाएं जिससे मैं मुक्त होकर आपके साथ चल सकूँ...बस इसी जद्दोजहद में सत्यम की नींद टूटी तो वो क्या देखता है कि सविता उसके पाँवो को पकड़े हुए आँखे मूंदे हुए प्रभु सिमरन कर रही है। अब क्या था, सत्यम की अश्रुधारा तो रुकने का नाम ही ना ले रही थी... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

मंथन (आत्मपरीक्षण Introspection)

मेरे दोस्त नीलकंठ   का व्हाट्सएप्प   पर   मेसेज आया "जरूरी नहीं हमेशा बुरे कर्मो की वजह से ही , दर्द सहने को मिले...कई बार हद से   ज्यादा अच्छे होने की भी क़ीमत चुकानी पड़ती है...।" मैंने देखा की मेसेज संजीदा है तो मैंने सोचविचार करके अपने विचार रखे "   दर्द देने वाला सहने की शक्ति भी देता है. हफ्ता पहले मुझे 2 दिन सांस लेने में दिक्कत रही तब अपने आप ही दिलोंदिमाग में मंथन शुरू हो गया।   माँ प्रकृति से वार्तालाप तीव्र हो गई ।   क्योंकि तकलीफ इतनी थी की ऐसा लग रहा था कि पता नहीं अगली सांस ही आखिरी ना हो। न्यूट्रल   हो गया था मैं। ( Nuetral, Indifferent  उदासीन ,   अनासक्त  ,  आसक्तिरहित  )  इच्छाएँ तो छोड़ो एक ही ईच्छा हो रही थी की माँ प्रकृति कि   गोद में लम्बी तान के सोने का समय आ गया। पर इतना खुशनसीब कहाँ , माँ ने कहा अपनी जिम्मेवारियाँ निभा ले..." 😊 नीलकंठ ने लिखा "बच्चे खुशनसीब हैं , पिता के बिना खुशियाँ नहीं मिलतीं" मैंने लिखा "तभी तो कहते हैं ना , जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा (माँ प्रकृति) है...

खा ले मेरे राजा बेटा, तू तो मेरा शेर है...

मैंने अपने दोस्त अवतार को व्हाट्सएप्प पर संदेश भेजा "वक्त से लड़कर, जो नसीब बदल दे ! इन्सान वही जो, अपनी तक़दीर बदल दे ! कल कया होगा, कभी मत सोचो ! क्या पता कल वक्त खुद, अपनी तस्वीर बदल दे !" अवतार का जवाब आया "यार ये बातें पढ़ने में ही अच्छी लगती हैं, असल जिंदगी में ऐसा नहीं होता" मैंने समझाते हुए जवाब दिया "अबे कुछ बातें होंसला बढ़ाने के लिए होती हैं, जैसे माँ अपने बेटे से कहती है "खा ले मेरे राजा बेटा,  तू तो मेरा शेर है"... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here     

टूटता तारा देखकर मैंने माँगा ...

नींद ना आने  की वजह से छत पर टहल रहा था कि अचानक आसमान में टूटता तारा देखकर मेरे मन में भी आया कि आज ऊपर वाले से कुछ मांग लिया जाये। तबियत ठीक नहीं थी तो क्या था मैंने झट से प्रार्थना की 'हे माँ प्रकृति (माँ भगवती, माँ महाकाली, माँ अम्बे) ॐ शांति शांति शांति, माँ तीनों लोकों में सुख शांति हो '। एक बार तो मन में आया अरे यार अपने लिए माँगना था, लेकिन भीतर मन में अपार खुशी, सन्तोष था, माँ प्रकृति के लिए धन्यवाद था कि माँ आपने मेरे मुख से तीनों लोकों के लिए सुख शांति मंगवा ली। ... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here