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दोस्ती !

मेरी बेटी कृति (शुभिका) जब सातवीं कक्षा में पढ़ती थी, अपनी फ्रेंड अलका को साथ लेकर अपनी दूसरी फ्रेंड साक्षी के घर गई। साक्षी ने कृति से कहा कि वह अलका को उसके घर वापिस भेजकर अंदर आ जाए। कृति ने साक्षी से कहा कि, जहां मेरी फ्रेंड की इज़्ज़त नहीं, वहां मुझे भी नहीं रुकना...यह कहकर कृति अलका को साथ लेकर अपने घर वापिस आ गई। मुझे कृति के इस निर्णय पर बहुत गर्व महसूस हुआ, मन ही मन मैं मुस्कुरा रहा था कि रगों में खून का असर तो होता ही है... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here

कर्ण का न्याय

  कर्ण ने अर्जुन से कहा कि आपने जो मेरा कार्य सम्पन्न किया है उसका मेहनताना आप मेरे मित्र दुर्योधन से ले लीजिए। अ र्जुन ने कर्ण से कहा कि प्रिय कर्ण आप मेरे भाई दुर्योधन के मित्र होने के नाते मेरे भी मित्र हुए, और उम्र में मुझसे बड़े होने के नाते मेरे लिए आदरणीय भी हैं। अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि आपने चार माह पूर्व भी मुझे इस कार्य हेतु बुलाया था, पर मैंने आपसे अनुग्रह किया था कि कृप्या पहले आप भाई दुर्योधन से अनुमति दिलवा दें, क्योंकि भाई दुर्योधन मुझसे किसी कारणवश नाराज़ चल रहे हैं, तब आपने मुझे बताया था कि भाई दुर्योधन मेरे द्वारा आपका कार्य करने की अनुमति नहीं दे रहे। अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि अब चार महीनों बाद आपने मुझे यह कहकर बुलाया कि आपने दुयोधन से कार्य हेतु अनुमति ले ली है और पारिश्रमिक भी तय कर लिया था। अबकी बार मै आपके अनुरोध पर आपके विनम्र स्वभाव को देखते हुए आपकी सहायता हेतु आपके कार्यस्थल पर दो दिन परिश्रम करता हूँ। तो इस स्थिति में मुझे पारश्रमिक भाई दुर्योधन से क्यों लेना चाहिए ? अर्जुन ने कर्ण से आगे कहा कि मैं तो आपके कार्यस्थल पर कार्य करने हेतु इस लिए भी तै...