दिल की बात दूर दूर तक पोस्टमैन पहुंचा दिया करता था। एक दोस्ती भरा रिश्ता सा बन गया था उसके साथ। मानो एक पुल की तरह काम करता था मेरे और मेरे अपनों के बीच। दुआओं में पोस्टमैन का भी नाम खुद ब खुद आ जाया करता था। सुख दुःख का साथी सा बन गया था वो। फौजियों की तरह सेवा भाव लिए दूरियों को बिल्कुल मिटा दिया करता था। दिलों को जोड़ दिया करता था तभी तो दिल के करीब था वो पोस्टमैन। कोई रिश्ता ना होते हुए भी कितना पावन रिश्ता था उससे... ऐसे सभी लोगों को दिल से प्रणाम जो निःस्वार्थ भाव से दिलों को जोड़ने के लिए पुल का काम करते हैं। ... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here
Storyteller - Short Stories By Manoj Kumar Vitthal