माँ ने दौड़ कर सड़क पर दौड़ते हुए बच्चे को पकड़ा, दो चार थप्पड़ रसीद किये और बच्चे को गोद में उठा कर गले लगा कर रोने लगी...ये घटना देखकर मोहन को भी अपनी बेटी की याद आ गई। कुछ दिन पहले मोहन ने गुस्से में आकर अपनी बेटी को थप्पड़ मार दिया था, और चार पाँच दिन तक अकेले में पश्चाताप में रोता रहा था, लेकिन बेटी को सॉरी नहीं कह पाया। लेकिन आज की घटना ने मोहन के अशांत मन को शांत कर दिया था जैसे उस माँ ने अपने बच्चे की नादानी पर अपने डर और प्यार से प्रतिक्रिया की थी उसी प्रकार मोहन से भी डर और प्यार के फलीभूत आकस्मिक प्रतिक्रिया हो गई थी... और शॉर्ट स्टोरीज के लिए क्लिक करें