सत्यम काफी दिनों से बीमार चल रहा था और चिड़चिड़ा हो गया था। पास बैठी पत्नी सविता से नाराजगी जता रहा था कि तुम तो मेरे मरने के बाद दूसरा विवाह कर लोगी। काफी रात हो गई थी । सत्यम बीमारी से काफी परेशान था, अचानक से यमराज प्रकट हुए उन्होंने सत्यम से कहा चलो मेरे साथ, तुम्हारा समय आ गया। सत्यम ने कहा प्रभु मैं तो चलने को तैयार हूँ लेकिन मेरे पैर जकड़े हुए हैं आप ही थोड़ा जोर लगाएं जिससे मैं मुक्त होकर आपके साथ चल सकूँ...बस इसी जद्दोजहद में सत्यम की नींद टूटी तो वो क्या देखता है कि सविता उसके पाँवो को पकड़े हुए आँखे मूंदे हुए प्रभु सिमरन कर रही है। अब क्या था, सत्यम की अश्रुधारा तो रुकने का नाम ही ना ले रही थी... (मनोज कुमार विट्ठल) for more stories click here